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Your Letters

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आदरणीय गुरुदेव, सादर प्रणाम । हे गुरुदेव ! आपके चरणों में कोटी कोटी नमन । आप कैसे हो ?  हम साधक वर्ग आपके हर दिन आपके छोटे -छोटे सुविचार पढ़कर दिव्य अनुभूति का अनुभव करते है । वो सुविचार पढ़ने के बाद लगता है कि आखिर जेल में कौन है ? आप या हम? आपको देखकर तो ऐसा प्रतीत होता है कि आप जेल में रहते हुए जेल में नहीं हो और हम बाहर रहते हुए मनरूपी जेल में बंद है । अच्छा हुआ इस जन्म में परमात्मा ने मेरी मुलाक़ात आपसे और पूज्य बापूजी से करवाई  आप दोनों के बीना आध्यात्मिक विकास असंभव ही है आप दोनों ने साधक वर्ग कि संसार रूपी दोरी संभाली है इसीलिए तो हमारा साधक वर्ग संसार में रहते हुए भी आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रेसर है।यह आप दोनों कि अनुकम्पा हि है । आज के युवा पीढ़ी को अगर पतन से बचाना है, भारत को विश्वगुरु बनाना है, भारतीय गुरुकुल पद्धति का पुरे विश्व में प्रचार प्रसार करना है तो भारतवासियो को साधु संतो को पहचानना ही होगा । बाहरी संस्कृति के आघात के कारण हमारी युवा पीढ़ी आपके सत्संग से वंचित है इसीलिए भारत देश का भौगलिक विकास के साथ- साथ सरकार को चाहिए कि सरकार ने आध्यात्मिक विकास कैसे हो इस पर भी गौर करना चाहिए नहीं तो हमारी युवा पीढ़ी का पतन निश्चित है । पूज्य बापूजी और आपने जो ओंकार साधना का मार्ग हम साधको को बताया है अगर हम साधक उस रास्ते पर चले तो अपना और राष्ट्र का विकास निश्चित है । में खुद इसका साक्षी हु जब से मैंने यह साधना शुरू कि है तब से दिव्य अनुभव प्राप्त हो रहे है । शुरू में मैंने 40 मि. से चालू किया अब 03 घंटे प्रति दिन साधना हो रही है वो भी ब्रह्म मुहूर्त से । खुद को इस साधना से ऊर्जावान महसूस कर रहा हूँ । लेकिन संकल्प राष्ट्र के विकास और पूज्य बापूजी और साईंजी जेल से जल्द -जल्द बाहर आये यह संकल्प करता हु तो न मांगते हुए मेरे ऐसे कई पेंडिंग काम है वो भी आसानी से पुरे हो रहे है यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है । धन्यवाद है आपका और पूज्य बापूजी का जिन्होंने हमें यह ओंकार साधना सिखाई ।
आपका शिष्य : निखिल गिरी, लातूर (महा. )

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