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जो देखा..अनुभव किया..वही लिखा..
कोरोनो संक्रमण : पूज्य साईं जी का संकल्प लाखों जीवों के लिए अभयदान बन गया…!!
– 25 दिन बाद उत्पन्न आने वाले हालात से निपटने के लिए पहले ही व्यवस्था करवा दी

ब्रह्मज्ञानी का दूरगामी चिंतन सृष्टि के प्रत्येक जीव के कल्याण के लिए ही होता है..प्रकृति उनके माध्यम से कब – कौन सा हितकारी संकल्प भविष्य में पूर्ण करने की व्यवस्था वर्तमान में कर देती है..इसका ताज़ा उदाहरण आज एक फिर समाज के सामने है !

जीवदया सेवा प्रकल्प का संदेश –
ये बात शुरू होती है.. पूज्यनीय मैयाजी के अवतरण दिवस से… इस साल यह मंगल प्रसंग फाल्गुन पूर्णिमा यानि 9 मार्च को था. पूज्य श्री नारायण साईं जी ने पूज्य मैया जी के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में मार्च की शुरुआत में ही सभी को जीवदया सेवा प्रकल्प का संदेश देते हुए अपने आस पास अथवा किसी भी स्थान पर चींटी से लेकर प्रत्येक पशु पक्षी के लिए दाने पानी की सेवा करने का समाज से आव्हान किया.
देशभर में शुरू हुई सेवा-
चूँकि पूज्य साईं जी का संवेदनापूर्ण संकल्प मूक प्राणियों उदरपूर्ति से जुड़ा था. इसलिए सभी ने इस सेवा प्रकल्प से पूरे मन से जुड़ने में देर नहीं की. देखते ही देखते देशभर से हर घर आँगन में जीवदया के लिए सेवा प्रकल्प शुरू होने की शुभ खबरें आने लगी. सभी ने अपनी अपनी क्षमता और सामर्थ्य के मुताबिक पंछियों और पशु पक्षियों के लिए दाने-पानी घरोंदे की व्यवस्था कर पूज्य साईंजी के सेवा संकल्प को गति दी.
यह तो था तस्वीर का एक पहलू..लेकिन दूसरा पहले अब सामने आया है..
दरअसल, पूज्य साईं जी के जीवदया के इस संकल्प के माध्यम से प्रकृति कहो या परमात्मा का जो मूल मकसद था, वो 22 मार्च को सबसे पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद आज देशव्यापी लॉकडाउन में सामने और समझ में आ रहा है. वैश्विक महामारी कोरोनो के संक्रमण के कारण पिछले 22 मार्च से पूरा देश बंद है. ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या उन पशु-पक्षियों और पंछियों के सामने अपनी पेट की आग बुझाने के लिए दाने पानी की सबसे बड़ी समस्या हो सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
भूख प्यास से हजारों मर जाते-
पूज्य साईं जी के आव्हान पर देश भर में जंहा जंहा भी पूज्य मैयाजी के अवतरण दिवस से सेवा प्रकल्प शुरू किये गये थे वो आज इनके जीवन रक्षा के लिए अभयदान बन गये. आज ये पशु पक्षी इन स्थानों पर की गई दाने-पानी घरोंदे की व्यवस्था का फायदा उठाकर अपना जीवन सहज रूप से बसर कर रहे है. नहीं तो लोगों के अपने अपने घरो में बंद होने से इनके समक्ष अपनी भूख प्यास मिटाने का बड़ा भारी संकट पैदा हो सकता था. भूख से असंख्य पशु पक्षियों की मौत हो सकती थी. इंसान के लिए तो अपनी भूख प्यास मिटाने के कई विकल्प है लेकिन इन पशु-पक्षियों और पंछियों के सामने विकट स्थिति पैदा हो जाती ! लेकिन पूज्य साईं जी कहते है कि परमात्मा को सबकी चिंता है. वो किसकी को भी भूखा नहीं सुलाता है. यह वचन आज मोजूदा स्थिति में सत्य हुए है.
25 दिन पहले कर दी व्यवस्था-
इस सम्पूर्ण घटनाक्रम ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि ब्रह्मज्ञानी के संकल्प के पीछे बहुत ही गहरे सन्देश छुपे होते है. पूज्य साईं जी ने जब मैयाजी के अवतरण दिवस के निमित्त जीव दया का आव्हान किया था तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि 20-25 दिन बाद देश कोरोनो संक्रमण के चलते घरों में कैद हो जायेगा और पशु-पक्षियों और पंछियों के सामने दाने पानी का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा ? लेकिन सृष्टि के प्रत्येक जीव के कल्याण की ब्रह्मज्ञानी की दूरदृष्टि का इस ताज़ा घटनाक्रम से बड़ा कोई उदाहरण हो ही नहीं सकता है ! तभी तो कहते है उनके चित्त में उठने वाले संकल्प को पूर्ण करने के लिए बिना किसी तर्क-वितर्क के पूर्ण करने में जो जुट जाते है, वो धन्य हो जाते है. यह आज मेरा अकेले का नहीं बल्कि कई लोगों का अनुभव बन गया है….!!
@ निलेश सोनी/ पत्रकार /9424898657

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